Aarati Kyu Ki Jaati Hai , आरती क्यों की जाती है , भगवान की आरती क्या है, कैसे और क्यों की जाती है ।
![]() |
Aarti Kya Hai |
![]() |
Aarti Karne ki Vidhi |
आरती करने की विधि : Aarti Karne Ki Vidhi
- देवता की छवि या मूर्ति के सामने एक जलाया हुआ दीपक या दीया रखा जाता है।
- आरती करने वाला व्यक्ति आमतौर पर एक थाल या थाली रखता है जिसमें दीया, फूल, चावल,
- और अन्य प्रसाद आदि होते हैं ।
- आरती करने वाला आमतौर पर देवता को दिये एवं प्रसाद वाली आरती की थाली चढ़ाकर शुरू करेगा और फिर भजन या मंत्र गाते हुए दीया को एक गोलाकार गति में लहराना शुरू करेगा।
- आरती करने वाला एक पवित्र वातावरण बनाने के लिए घंटी भी बजाता है या शंख बजाता है।
आरती करने के फ़ायदे : Aarti Kyu ki Jati Hai
- यह मन में शांति और शांति लाता है और तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है।
- यह मन को केंद्रित करने और पूजा किए जा रहे देवता के प्रति भक्ति और भक्ति की भावना पैदा करने में मदद करता है।
- यह विनम्रता, कृतज्ञता और सम्मान की भावनाओं को विकसित करने में मदद करता है।
- ऐसा माना जाता है कि दीया का प्रकाश नकारात्मक ऊर्जा को दूर करता है और सकारात्मक और शुभ वातावरण बनाता है।
- यह पर्यावरण को शुद्ध और पवित्र करने में मदद करता है।
- यह आरती समारोह में भाग लेने वाले लोगों के बीच एकता और अपनेपन की भावना पैदा करता है।
- ऐसा माना जाता है कि आरती करने से आशीर्वाद, सुरक्षा और देवता से मांगी गई मनोकामना की पूर्तिहोती है ।
- यह भी माना जाता है कि नियमित रूप से आरती करने से व्यक्ति की आध्यात्मिक प्रगति में सुधार होता है और परमात्मा से जुड़ाव बढ़ता है।
- आरती करने से मन और शरीर को शुद्ध करने और आंतरिक शांति और संतोष की भावना लाने में मदद मिल सकती है।
- ऐसा माना जाता है कि आरती के दौरान भजनों और मंत्रों के गायन से उत्पन्न कंपन मन और शरीर पर सकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं, तनाव को कम करने और समग्र कल्याण में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।
- ऐसा कहा जाता है कि आरती के दौरान दीया को एक गोलाकार गति में लहराने से शरीर ( चक्रों ) में ऊर्जा केंद्रों को संतुलित करने में मदद मिल सकती है और शारीरिक और भावनात्मक संतुलन की भावना पैदा हो सकती है।
- ऐसा कहा जाता है कि आरती करने से वातावरण को शुद्ध करने और सकारात्मक और सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाने में मदद मिल सकती है।
- यही कारण है कि यह एक समारोह से पहले और बाद में किया जाता है।
- ऐसा माना जाता है कि आरती करने से किसी के आध्यात्मिक संबंध को गहरा करने और आंतरिक अहसास और आत्म-जागरूकता की भावना लाने में मदद मिल सकती है।
- आरती को देवता के प्रति आभार व्यक्त करने और अपने और दूसरों के लिए आशीर्वाद मांगने का एक तरीका भी माना जाता है, यह कृतज्ञता और उदारता की भावनाओं को विकसित करने में मदद कर सकता है।
![]() |
Puja Aarti |
{ ॐ } > आरती क्यों की जाती है :
- हिन्दू धर्मानुसार यदि ईश्वर के पूजन में कभी कोई त्रुटि रह जाती है तो आरती से उसकी पूर्ति हो जाती है। जो भी धूप और आरती को देखता है , वह करोड़ों पीढियों का उद्धार करता है और भगवान श्री हरि विष्णु के परममद को प्राप्त होता है ।
- साधारणत: आरती पांच बत्त्तियों से की जाती है । कपूर से भी आरती की जाती है, इसे ' पंचप्रदीप ' भी कहते है। ईश्वर की पूजन आरती - एक, तीन, पांच, सात, या विषम संख्या की अनेक बत्त्तियों से आरती की जाती है। आरती करते समय शंख , घंटी आदि बजाते हुए ही आरती करनी चाहिए ।
{ ॐ } > आरती करने की विधि :
- प्रथम दीपमाला के द्वारा ,
- दूसरे जलयुक्त शंख से द्वारा ,
- तीसरे धूल वस्त्र द्वारा ,
- चौथे आम और पीपल के पत्ते द्वारा ,
- और पांचवा साष्टांग दंण्डवत प्रणाम से आरती सम्पन्न करें ।
- ईश्वर की आरती उतारते समय सर्वप्रथम ईश्वर की प्रतिमा के चरणों में उसे चार बार घुमायें , दो बार नभिदेश में , एक बार ईश्वर के मुखमंडल की ओर सात वार समस्त अंगों पर घुमायें , इसके पश्चात् शंख - जल भक्तों पर छिड़कें तथा पूजन - आरती के अंतत: ईश्वर के प्रतिमा के समक्ष साष्टांग दंण्डवत प्रणाम करें।
- आरती करने वाला आम तौर पर उपस्थित लोगों को आरती की थाल पेश करेगा, जो लोग प्रसाद ( पवित्र धन्य भोजन) के रूप में प्रसाद की एक छोटी राशि लेंगे।
- इसके बाद आरती करने वाला देवता को नमन करेगा और घर के बड़े के पैर छूएगा।
- आरती करने वाला फिर शेष आरती को घर के चारों ओर आरती के पवित्र दिये की प्रकाश को दिखाएगा | क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इससे घर में शांति और समृद्धि आएगी।
आरती क्या है और आरती के कितने अंग होते हैं ?
आरती केमूल रूप से पांच अंग होते हैं, जिसमें पहला दीपमाला द्वारा , दूसरा जलयुक्त शंख द्वारा , तीसरा धुले हुए वस्त्र द्वारा , चौथा आम और पीपल के पत्तों के द्वारा और पाँचवा साष्टांग दण्डवत प्रणाम से आरती करना चाहिए। आरती करते समय ईश्वर की मूर्ति या प्रतिमा के चरणों में आरती को चार बार घुमाएं , जिसमें दो बार नाभि प्रदेश में , एक बार प्रतिमा के मुखमंडल पर और सात बार समस्त अंगों पर घुमाएं |
आरती करने का सही तरीका क्या और कैसे है ?
ईश्वर की आरती सबसे पहले ईश्वर के चरणों से शुरू करनी चाहिए और सबसे पहले आरती उतारते समय चार बार दिये को सीधी दिशा में घुमाना चाहिए . उसके बाद ईश्वर की नाभि के पास दो बार आरती उतारें, तत्पश्चात सात बार भगवान के मुख की आरती उतारें. अक्सर किसी भी पूजा पाठ या धार्मिक कार्यों में देखने को मिलता है कि भगवान की आरती होने के बाद भक्तगण अपने दोनों हाथों से आरती लेते हैं |
आरती से पहले कौन सा मंत्र बोलना चाहिए ?
ईश्वर की आरती करने से पहले कर्पूरगौरं मंत्र बोलना सही होता है। इस मंत्र का पूरा अर्थ यह है : - जो कर्पूर जैसे गौर वर्ण वाले हैं, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं और भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा प्रणाम है।
प्रतिदिन घर में किस तरह से आरती करनी चाहिए ?
हिन्दू धर्मशास्त्रों में घरों में प्रतिदिन सुबह और शाम दोनों समय आरती करने का विधि-विधान है ।अपने देवी-देवता की आरती करने के लिए धूप , कपूर, घी, आदि का इस्तेमाल करना चाहिए। घी और रूई से बाती बनाकर देवी-देवता की पूजा आरंभ करनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखना आवश्यक है कि बाती, कपूर आदि की होनी चाहिए |
आरती बैठकर क्यों नहीं की जाती , खड़े होकर ही क्यों की जाती है ?
हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार आरती हमेशा खड़े होकर ही करनी चाहिए | खड़े होकर आरती क्यों करनी चाहिए ? इसके सही नियम की बात करें तो हमेशा आरती खड़े होकर ही करनी चाहिए इससे आरती पूर्ण मानी जाती है यदि बैठ कर आरती की जाए तो उसका उचित फल नहीं मिलता और यह पूर्ण नहीं मानी जाती । शास्त्रों के अनुसार ऐसा माना जाता है कि खड़े होकर आरती करना ईश्वर के प्रति हमारे भक्ति के प्रति सम्मान को दिखाता है। जिस तरह हम किसी भी व्यक्ति विशेष के प्रति भी आदर सत्कार दिखाते हैं तो उसके सम्मान में खड़े हो जाते हैं ठीक उसी तरह ।
Thanks for Reading: Aarti Karne Ki Vidhi आरती क्यों , कैसे की जाती है सही तरीका , Sorry, My English is bad:)
Thanks For Reading: Aarti Karne Ki Vidhi आरती क्यों , कैसे की जाती है सही तरीका , Don't Forget Share , Commnent and Follow Our Site and Keep Reading : Every Reader is Very Important For Me : ) Note: You Can Ask any Questions and Comment on What Topic You Want To Know